उपन्यास >> ओं णमो ओं णमोशान्तिनाथ देसाई
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ओं णमो साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत इसी नाम के कन्नड़ उपन्यास का हिन्दी अनुवाद है...
ओं णमो साहित्य अकादेमी द्वारा पुरस्कृत इसी नाम के कन्नड़ उपन्यास का हिन्दी अनुवाद है, जिसमें एक जैन परिवार की तीन पीढ़ियों की कथा को निरूपित करते हुए लेखक ने समकालीनता का गहन विश्लेषण और अनुवीक्षण किया है। विश्वास की गहन प्रतिच्छाया, आस्था और आचार के बीच विरोधाभास एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता की पंगुता आदि की पड़ताल इस उपन्यास में बड़ी संश्लिष्ट स्थितियों और जीवंत पात्रों द्वारा की गई है। कथा-पात्रों द्वारा समन्वयी दृष्टिकोण से उद्धृत जैन तत्त्वज्ञान, परंपरा, धार्मिक आचरण, समकालीन जैन समाज के आंतरिक विरोधाभास, अस्मिता को आडंबर के सहारे बचाए रखने के दयनीय प्रयत्न आदि का स्वाभाविक चित्रण इस उपन्यास में मिलता है।
लेखक ने, वे जिस धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक परिवेश में जन्म लेकर पले-बढ़े थे, उसके घनिष्ठ अनुभवों को अपने चिन्तन से सँवारकर, अध्ययन की कसौटी पर कसकर, नव्य बोध के आधार पर एक जटिल जीवन-दर्शन को इस असाधारण कथा-कृति का रूप दिया है।
लेखक ने, वे जिस धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक परिवेश में जन्म लेकर पले-बढ़े थे, उसके घनिष्ठ अनुभवों को अपने चिन्तन से सँवारकर, अध्ययन की कसौटी पर कसकर, नव्य बोध के आधार पर एक जटिल जीवन-दर्शन को इस असाधारण कथा-कृति का रूप दिया है।
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